वर्ल्ड लिसनिंग डे: अभिनय और ऑडिशन में सुनने की कला
वर्ल्ड लिसनिंग डे: अभिनय और ऑडिशन में सुनने की कला

हर साल 18 जुलाई को दुनिया भर में वर्ल्ड लिसनिंग डे (विश्व श्रवण दिवस) मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारे आसपास की आवाज़ोंचाहे वह प्रकृति की हो, शहर की हलचल हो, या इंसानी भावनाओं कीको ध्यान से सुनने की प्रेरणा देता है। यह पहल World Listening Project द्वारा शुरू की गई थी, और इसे प्रसिद्ध संगीतकार और पर्यावरणविद् आर. मरे शेफ़र को समर्पित किया गया है, जिन्होंने ध्वनि पारिस्थितिकी के क्षेत्र में अहम योगदान दिया।

हालाँकि यह दिन अक्सर पर्यावरणीय ध्वनियों और ध्वनि-जागरूकता पर केंद्रित होता है, लेकिन यह एक और गहरे पहलू की याद भी दिलाता हैसुनने की कला, जो खासतौर पर अभिनय और ऑडिशन के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण है।

अभिनय में सुनना ही सब कुछ है

बहुत से लोग मानते हैं कि अभिनय सिर्फ संवाद बोलने, भाव-भंगिमा दिखाने और स्क्रिप्ट याद करने का खेल है। लेकिन वास्तव में एक शानदार अभिनय प्रदर्शन की जड़ सुनने में है।

एक अच्छा अभिनेता सिर्फ अपनी बारी का इंतज़ार नहीं करतावह अपने साथी कलाकार की बातों को सुनता है, उन पर प्रतिक्रिया देता है और संवादों के पीछे छुपे भावों को पकड़ता है। जब कोई अभिनेता सच में सुनता है, तो दृश्य जीवंत हो उठता है, और दर्शक उस क्षण में डूब जाते हैं।

ऑडिशन में सुनने की अहमियत

ऑडिशन में अक्सर आपको एक अजनबी रीडर या कास्टिंग डायरेक्टर के साथ सीन करना होता है। यहाँ आपकी तुरंत प्रतिक्रिया देने और जुड़ाव बनाने की क्षमता की परीक्षा होती है।

डायरेक्टर्स ऐसे एक्टर्स को पसंद करते हैं जो सिर्फ डायलॉग बोलते नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, जो सामने वाले की बातों को ध्यान से सुनकर रिएक्ट करते हैं। यदि डायरेक्टर कुछ निर्देश दे, और आप उसे सही से सुनकर अपने परफॉर्मेंस में ढाल लेंतो वह तुरंत प्रभाव छोड़ता है।

किरदार को समझने के लिए सुनना जरूरी

एक सच्चा कलाकार अपने किरदार को सिर्फ निभाता नहीं, उसे समझता है। यह समझ तब आती है जब आप अपने किरदार की आवाज़ को, उसकी भावनाओं को, और उसके संघर्ष को ध्यान से सुनते हैं। यह सुनना सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि उसकी खामोशी, हाव-भाव और आंतरिक इच्छाओं में भी होता है।

निष्कर्ष

इस वर्ल्ड लिसनिंग डे, सिर्फ पक्षियों की चहचहाहट या हवा की आवाज़ ही नहीं, बल्कि एक-दूसरे की बातों को भी ध्यान से सुनें अभिनय में यह कला आपकी गहराई और संवेदनशीलता को उजागर करती है।

याद रखेंबेहतर अभिनेता वही होता है जो सबसे बेहतर सुनता है असली परफॉर्मेंस सिर्फ बोलने से नहीं, सुनने से पैदा होती है।

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Shruti
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