पेंटल: बॉलीवुड के पसंदीदा कॉमेडियन और सदाबहार मनोरंजनकर्ता
पेंटल: बॉलीवुड के पसंदीदा कॉमेडियन और सदाबहार मनोरंजनकर्ता

बॉलीवुड के दिलों के चहेते कॉमेडी कलाकार पेंटल का नाम सुनते ही हंसी, हास्य और उनके खास चेहरे के हाव-भाव याद आ जाते हैं, जो अब हल्की-फुल्की भारतीय सिनेमा का पर्याय बन चुके हैं। दशकों से—70 और 80 के सुनहरे दौर से लेकर आधुनिक समय के बदलते मनोरंजन तक—पेंटल ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है और हिंदी फिल्मों व टीवी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह पक्की कर ली है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक सच्चा कलाकार, ईमानदारी और प्रतिभा के बल पर, केंद्रीय पात्र से भी बड़ा और स्थायी प्रभाव छोड़ सकता है।

पेंटल कौन हैं?
8 अगस्त 1947 को पंजाब के तरन तारन में जन्मे, पेंटल का असली नाम कंवरजीत पेंटल वालिया है। पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (FTII) के स्नातक पेंटल ने बॉलीवुड में उस समय प्रवेश किया जब कॉमेडी अक्सर रोमांटिक या ड्रामा दृश्यों के बीच तनाव कम करने का जरिया होती थी। लेकिन पेंटल को सबसे अलग बनाता था उनका यह हुनर कि वे कॉमेडी में जान, गहराई और एक खास आकर्षण भर देते थे।

ज़्यादातर कॉमेडियन केवल स्लैपस्टिक या ओवर-द-टॉप कॉमेडी तक सीमित रहते थे, लेकिन पेंटल की अदाकारी स्वाभाविक, अभिव्यक्तिपूर्ण और सबसे बढ़कर यादगार होती थी। वे अक्सर हीरो के दोस्त या कॉमिक साइडकिक की भूमिका निभाते थे—ऐसे किरदार जिन्हें आमतौर पर हीरो के आगे भुला दिया जाता है। लेकिन पेंटल इन किरदारों में अपनी खास पहचान डालते थे, जिससे वे अपने आप में यादगार और प्यारे बन जाते थे।

यादगार भूमिकाएं और बेहतरीन प्रदर्शन
पेंटल का अभिनय सफर 100 से अधिक फिल्मों में फैला है, जो विभिन्न शैलियों को समेटे हुए है। हालांकि कॉमेडी उनका सबसे बड़ा forte था, लेकिन उन्होंने ऐसे किरदार गढ़े जिनसे लोग तुरंत जुड़ जाते और हंस पड़ते। उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं:

  • जवानी दिवानी (1972) – पेंटल का मज़ेदार दोस्त का किरदार इस म्यूजिकल हिट में अतिरिक्त आकर्षण ले आया। उनकी टाइमिंग और चेहरे के हावभाव ने इस भूमिका को खास बना दिया।

  • रोटी कपड़ा और मकान (1974) – इस सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्म में पेंटल ने हास्य के साथ भावनात्मक गहराई भी दिखाई, जिससे उनकी versatility साबित हुई।

  • रफू चक्कर (1975) – एक क्लासिक कॉमेडी, जिसमें ऋषि कपूर और नीतू सिंह के साथ पेंटल का काम खूब सराहा गया।

  • बावर्ची (1972) – इस सदाबहार फिल्म में पेंटल के अभिनय ने कहानी में और भी गर्मजोशी और आकर्षण जोड़ दिया।

फिल्मों के अलावा, पेंटल के टीवी पर किए गए काम ने भी उन्हें अमर कर दिया। लोकप्रिय सीरियल "ऑफिस ऑफिस" में उनका अभिनय बेहद पसंद किया गया। इसके अलावा उन्होंने निर्देशन और शिक्षण में भी हाथ आजमाया, नई पीढ़ी के कलाकारों को सिखाते हुए।

अभिनय से आगे का योगदान
पेंटल का योगदान सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं रहा। अनुभव और प्रसिद्धि हासिल करने के बाद वे अपने अल्मा मेटर FTII लौटे और अभिनय विभाग के प्रमुख बने। वहां उन्होंने नई प्रतिभाओं को निखारा और सिनेमा को लौटाया जो उन्होंने खुद वहां से सीखा था।

उनका शिक्षक और मार्गदर्शक बनना इस बात को दर्शाता है कि वे कला के प्रति समर्पित और सिनेमा के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध थे। इस तरह, उन्होंने अपनी विरासत को सिर्फ अपने अभिनय से नहीं, बल्कि अपने शिष्यों के जरिए भी जीवित रखा।

क्यों आज भी पेंटल हैं प्रिय
तेज़-रफ्तार मनोरंजन और चटपटे वन-लाइनर जोक्स के इस दौर में भी पेंटल का हास्य सच्ची मुस्कान लाता है। उनके चेहरे की भाव-भंगिमाएं, अनोखे किरदार और सहज संवाद अदायगी में ऐसा जादू है जो कभी फीका नहीं पड़ता।

जहां कई सितारे शोहरत के पीछे अपना संतुलन खो देते हैं, पेंटल हमेशा विनम्र बने रहे, और अपने काम को ही अपनी पहचान बनने दिया। यही सादगी, उनकी बेमिसाल प्रतिभा के साथ मिलकर, उन्हें साथियों, आलोचकों और दर्शकों का सदाबहार प्यार दिलाती है।

पेंटल के किरदार केवल कॉमिक रिलीफ़ नहीं होते—वे दोस्त, अपने जैसे लोग, गर्मजोशी से भरे और सजीव होते हैं। यह एक ऐसी खासियत है जो एक ऐसी इंडस्ट्री में कम मिलती है जहां लोकप्रियता के रुझान बदलते रहते हैं।

पेंटल का करियर और जीवन इस बात की भावुक याद दिलाता है कि सहायक अभिनेता भी, अगर ईमानदारी और दिल से निभाए जाएं, तो ऐसा अमिट असर छोड़ सकते हैं जो कई बार मुख्य किरदारों से भी बड़ा होता है। बॉलीवुड की चमक-दमक के बीच, पेंटल वह अभिनेता थे जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विनम्रता और जुनून के दम पर पहचान बनाई।

चाहे आप हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर के पुराने प्रशंसक हों या नए दर्शक जो इसके अनमोल रत्नों को खोज रहे हों, पेंटल की फिल्में देखना एक सुखद यादों की यात्रा जैसा है। वे और उनका काम स्क्रीन और दिलों को रोशन करते रहते हैं—एक सबूत कि सच्चा हास्य कभी पुराना नहीं होता।

तो अगली बार अगर आपको हंसी के साथ-साथ गर्मजोशी और पुरानी यादों की खुराक चाहिए, तो एक पेंटल क्लासिक देखिए—आपके होंठों पर सिर्फ मुस्कान ही नहीं, दिल में भी एक प्यारी सी गर्माहट होगी।

Author
Lights Camera Audition
Lights Camera Audition
Share on
Explore other related articles
नीना गुप्ता: शालीनता और संघर्ष से दोबारा परिभाषित होती हुई स्टारडम
नीना गुप्ता: शालीनता और संघर्ष से दोबारा परिभाषित होती हुई स्टारडम

फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।

By, Lights Camera Audition
दीप्ति नवल और फारूक शेख: बॉलीवुड की एक सदाबहार जोड़ी
दीप्ति नवल और फारूक शेख: बॉलीवुड की एक सदाबहार जोड़ी

हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।

By, Lights Camera Audition
यश चोपड़ा: वह महान हस्ती जिन्होंने भारतीय सिनेमा में रोमांस को परिभाषित किया
यश चोपड़ा: वह महान हस्ती जिन्होंने भारतीय सिनेमा में रोमांस को परिभाषित किया

भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।

By, Lights Camera Audition
अर्चना पूरण सिंह का जश्न: हँसी की रानी आज मना रही हैं अपना 63वां जन्मदिन
अर्चना पूरण सिंह का जश्न: हँसी की रानी आज मना रही हैं अपना 63वां जन्मदिन

आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।

By, Lights Camera Audition
Stay in the Loop with
Lights Camera Audition!

Don't miss out on the latest updates, audition calls, and exclusive tips to elevate your talent. Subscribe to our newsletter and stay inspired on your journey to success!

By subscribing, you agree to receive promotional information from Lights Camera Audition. You can unsubscribe at any time.