भारत प्रतिभाओं से भरपूर देश है — यहाँ कलाकारों, गायकों से लेकर परदे के पीछे काम करने वाले रचनाकारों तक की कोई कमी नहीं। फिर भी, कई कलाकार केवल इसलिए अनदेखे रह जाते हैं क्योंकि उन्हें सही मंच या मौका नहीं मिलता।
इसी वजह से लाइट्स कैमरा ऑडिशन की शुरुआत हुई — ताकि हर रचनात्मक आत्मा को एक मंच मिल सके।
चाहे आप एक अभिनेता हों, गायिका हों, डांसर हों, बाल कलाकार, मॉडल, लेखक, निर्देशक, कॉमेडियन, संगीतकार, फोटोग्राफर, एंकर, मेकअप आर्टिस्ट या फिर AVGC (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स) और XR (एक्सटेंडेड रियलिटी) की दुनिया से जुड़े हों — यह प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए है।
ना कोई लंबी कतारें।
ना किसी इंडस्ट्री कनेक्शन की ज़रूरत।
ना ही कोई अनावश्यक खर्च।
बस असली मौके — सीधे आपकी स्क्रीन तक।
लाइट्स कैमरा ऑडिशन एक पूरी तरह से ऑनलाइन मंच है जहाँ प्रतिभा मिलती है कास्टिंग कॉल्स और क्रिएटिव सहयोग से — वेब सीरीज़, फ़िल्मों, डिजिटल शो और अन्य रचनात्मक प्रोजेक्ट्स के लिए।
चाहे आप मंच पर परफ़ॉर्म करें या परदे के पीछे काम करें, आपका हुनर देखा और सराहा जाना चाहिए।
मुफ़्त रजिस्ट्रेशन करें और अपनी प्रतिभा को स्पॉटलाइट में लाएं।
यह मंच बाधाएँ तोड़ने, हर प्रकार की रचनात्मकता को सम्मान देने और सपने देखने वालों को उनका सही मंच देने के लिए बनाया गया है।
लाइट्स। कैमरा। ऑडिशन।
इंडस्ट्री देख रही है।
अब आपकी बारी है।
हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
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