क़लम की ताकत: बॉलीवुड में लेखकों की भूमिका और बेहतरीन लेखक कलाकार
क़लम की ताकत: बॉलीवुड में लेखकों की भूमिका और बेहतरीन लेखक कलाकार

जब बात बॉलीवुड की होती है, तो ज़्यादातर लोग चमक-धमक, सितारों और गानों की बात करते हैं। लेकिन किसी भी फिल्म की असली जान उसके लेखन में होती है। एक अच्छी कहानी, यादगार किरदार और असरदार संवादये सब एक लेखक की सोच और क़लम से ही निकलते हैं। हालांकि लंबे समय तक लेखकों को बॉलीवुड में वह मान-सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे, लेकिन हाल के वर्षों में इस सोच में बदलाव आया है।

हर सफल फिल्म की नींव एक मजबूत स्क्रिप्ट पर टिकी होती है। "तमाशा" जैसी फिल्मों में इम्तियाज़ अली का लेखन हो या "जाने भी दो यारों" की व्यंग्यात्मक शैली जिसे कुंदन शाह ने लिखा, इन सभी में लेखक की रचनात्मकता झलकती है। लेखक ही वो शख्स होता है जो किरदारों को जीवन देता है और दर्शकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाता है।

आज के समय के बेहतरीन लेखक-निर्देशकों में से एक हैं अनुराग कश्यप उनकी फिल्में जैसे गैंग्स ऑफ वासेपुर, अग्ली, और ब्लैक फ्राइडे अपनी सच्चाई और गहराई के लिए जानी जाती हैं। अनुराग के लेखन में समाज की कड़वी सच्चाई और वास्तविक जीवन की झलक मिलती है।

जोया अख्तर भी आज के दौर की सबसे प्रतिभाशाली लेखक-निर्देशकों में से एक हैं। ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा, दिल धड़कने दो, और गली बॉय जैसी फिल्मों में उन्होंने रिश्तों की बारीकियों को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है। वे अक्सर रीमा कागती के साथ मिलकर लिखती हैं और दोनों की जोड़ी दर्शकों के दिलों में खास जगह बना चुकी है।

कुछ बॉलीवुड सितारे भी हैं जो अभिनय के साथ-साथ लेखन में भी माहिर हैं। आयुष्मान खुराना इसका अच्छा उदाहरण हैं। वे कविताएं और गाने लिखने का शौक रखते हैं। उनकी किताब Cracking the Code उनके फिल्मी सफर को दर्शाती है और उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स में उनकी लेखनी की झलक साफ दिखती है।

फरहान अख्तर का ज़िक्र भी जरूरी है। दिल चाहता है से अपने निर्देशन और लेखन की शुरुआत करने वाले फरहान ने बॉलीवुड की कहानी कहने के अंदाज़ को ही बदल दिया। उनके संवाद और किरदार आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं।

वहीं वरुण ग्रोवर, जो गीतकार और पटकथा लेखक दोनों हैं, ने मसान और सेक्रेड गेम्स जैसे प्रोजेक्ट्स में अपने लेखन का जादू दिखाया है। उनकी लेखनी में समाज की वास्तविकता और संवेदनशीलता दोनों होती है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि भले ही परदे पर सितारे चमकते हों, लेकिन उन्हें वो चमक देने वाले लेखक ही होते हैं। आज के दर्शक अच्छी कहानी को ज्यादा महत्व देने लगे हैं और बॉलीवुड भी इस दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। उम्मीद है कि लेखकों को आने वाले समय में वह सम्मान ज़रूर मिलेगा, जिसके वे सच्चे हकदार हैं।

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Shruti
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