22 अगस्त 2025 का दिन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने वाला दिन है, क्योंकि तेलुगु सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में से एक, मेगास्टार चिरंजीवी 70 वर्ष के हो गए हैं। एक कांग्रेसी और यूनियन नेता के बेटे, चिरंजीवी सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं हैं — वे एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं, जिनकी पहुंच पीढ़ियों, भाषाओं और उद्योगों से परे है।
जब दुनियाभर से उनके प्रशंसक उनके अद्भुत करियर को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तो यह सही समय है कि हम उनके जीवन, यात्रा और विरासत को नमन करें।
कोनिदेला शिव शंकर वर प्रसाद के रूप में आंध्र प्रदेश के समुद्र तटीय गांव मोगलथुर में जन्मे चिरंजीवी फिल्मी परिवार से नहीं थे। लेकिन उनके सपनों में सितारे थे और उनके दिल में अपार जिद। 1970 के दशक के अंत में उन्होंने चेन्नई का रुख किया, अभिनय में करियर बनाने के लिए। शुरुआती दिनों में उन्हें संघर्ष, अस्वीकृति और छोटे-मोटे किरदारों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन छोटे रोल्स में भी उनकी प्रतिभा साफ झलकती थी।
उन्होंने आधिकारिक डेब्यू पुनाधिराल्लु (1978) से किया, लेकिन रिलीज पहले हुई प्रणम खारीदू — जिसने एक ऐतिहासिक करियर की शुरुआत की।
चिरंजीवी केवल एक और अभिनेता नहीं थे — वे रुझानों के जन्मदाता थे। 1980 और 90 के दशक में उन्होंने तेलुगु सिनेमा के हीरो की छवि ही बदल दी। जबरदस्त डांस, एक्शन और भावनात्मक गहराई के साथ उन्होंने एक नया स्टाइल और जनप्रियता लाई जो पहले कभी नहीं देखी गई थी।
फिल्में जैसे खैदी (1983), चैलेंज (1984), पसिवाड़ी प्रणम (1987), जगदेका वीरुडु अतिलोक सुंदरी (1990), और इंद्रा (2002) न सिर्फ बॉक्स ऑफिस हिट रहीं, बल्कि तेलुगु पॉप कल्चर का हिस्सा बन गईं।
उन्होंने 1992 की घराना मोगुडु में लीड रोल निभाया — जो पहली तेलुगु फिल्म थी जिसने ₹10 करोड़ की कमाई की। इस सफलता ने उन्हें उस समय भारत का सबसे अधिक भुगतान पाने वाला अभिनेता बना दिया — जो बॉलीवुड-प्रधान उद्योग में बड़ी बात थी।
चिरंजीवी की खासियत सिर्फ उनकी प्रतिभा नहीं, बल्कि लोगों से उनका जुड़ाव है। उन्हें “अन्नया” (बड़े भाई) कहा जाता है, और उनके विनम्र स्वभाव, मिलनसारिता और प्रदर्शन ने उन्हें सभी वर्गों और उम्र के लोगों में प्रिय बना दिया।
सालों बाद भी उनका बॉक्स ऑफिस पर दबदबा कायम है। उनकी वापसी फिल्म खैदी नं. 150 (2017) एक सुपरहिट रही — यह साबित करता है कि उम्र कोई बाधा नहीं जब जुनून और परफॉर्मेंस एक साथ हों।
2008 में चिरंजीवी ने राजनीति में कदम रखा और प्रजा राज्यम पार्टी की स्थापना की, सामाजिक न्याय के उद्देश्य से। भले ही उनकी राजनीतिक यात्रा में उतार-चढ़ाव रहे हों, लेकिन यह उनके समाज के लिए कुछ करने के जज़्बे को दर्शाता है। बाद में उन्होंने पार्टी का विलय कांग्रेस में किया और भारत सरकार में पर्यटन मंत्री बने।
स्क्रीन से बाहर, चिरंजीवी चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उनका योगदान जारी है, जो भारत की सबसे बड़ी रक्त और नेत्रदान बैंक में से एक है। कोविड-19 संकट के दौरान उन्होंने फिल्म वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
· पद्म भूषण (2006) — भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान
· कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स साउथ, नंदी अवॉर्ड्स, और लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स
· आंध्र यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट, सिनेमा और समाज में योगदान के लिए
उनकी विरासत को उनके पुत्र राम चरण आगे बढ़ा रहे हैं — जो आज के समय में एक शीर्ष सितारे हैं।
70 की उम्र में भी चिरंजीवी थमे नहीं हैं। गॉडफादर, वाल्टेयर वीरय्या, और भोला शंकर जैसी फिल्मों से उन्होंने दिखा दिया कि उनका स्क्रीन प्रेजेंस आज भी वैसा ही दमदार है जैसा उनके स्वर्णिम दिनों में था।
तेलुगु राज्यों और पूरे देश में आज का दिन उत्सव का है। प्रशंसक रक्तदान शिविर, चैरिटी कार्यक्रम और फिल्म मैराथन का आयोजन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #HappyBirthdayChiranjeevi और #70YearsOfChiranjeevi जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
चिरंजीवी केवल एक मेगास्टार नहीं हैं — वे एक प्रेरणा हैं।
उनकी कहानी — एक छोटे से गांव से उठकर देश के सबसे बड़े सिनेमा सितारों में शामिल होने की — दृढ़ संकल्प, आत्म-परिवर्तन और अद्वितीय प्रतिभा की कहानी है।
मेगास्टार चिरंजीवी को 70वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपका जीवन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा, मनोरंजन और उम्मीद देता रहे।
Image Credit: Pinterest
हिंदी सिनेमा की चकाचौंध के पीछे, खासकर 1970 और 1980 के दशक में, एक खामोश क्रांति चल रही थी। मुख्यधारा की फिल्मों की चमक-दमक से दूर, यथार्थ और मानवीय अनुभवों पर आधारित एक नई पीढ़ी की फिल्में उभर रही थीं। इस आंदोलन से जुड़ी कई प्रतिभाओं के बीच, दीप्ति नवल और फारूक शेख की जोड़ी कुछ अलग ही थी।
फिल्म इंडस्ट्री में जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है, जहां अक्सर रूप रंग को प्रतिभा से ऊपर रखा जाता है, वहां नीना गुप्ता ने मानो पूरी व्यवस्था को पलट कर रख दिया है। एक समय पर उन्हें स्टीरियोटाइप किरदारों में बांध दिया गया था, लेकिन आज वे मिड-लाइफ क्रांति का चेहरा बन चुकी हैं। उन्होंने सिर्फ फिल्मों में वापसी नहीं की — बल्कि खुद को नया रूप दिया और उम्रदराज महिलाओं की छवि को फिर से परिभाषित किया। उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं है; ये साहसिक फैसलों, आत्मबल और उस आंतरिक विश्वास की कहानी है, जो एक ऐसी महिला के अंदर था जिसने दुनिया से मुंह मोड़ने के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं खोया।
भारतीय सिनेमा के समृद्ध कैनवस में यदि कोई नाम सबसे उज्जवल रूप में चमकता है, तो वह है यश चोपड़ा। "रोमांस के बादशाह" के रूप में मशहूर यश चोपड़ा ने अपनी कहानी कहने की अनोखी शैली, खूबसूरत दृश्यों, मधुर संगीत और भावनात्मक गहराई से बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। उनके पांच दशकों से भी लंबे करियर ने हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल दी और दुनिया को प्रेम की एक नई सिनेमाई भाषा सिखाई।
आज, 26 सितंबर को हँसी की दुनिया की रानी, हमेशा मुस्कुराती और हँसी बाँटती अर्चना पूरण सिंह अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं। चार दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा को अपनी ऊर्जा, हास्य और अनोखी आवाज़ से रोशन किया है। उनकी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने उन्हें एक ऐसे सितारे के रूप में स्थापित किया है, जो शोबिज़ की चमक-दमक में भी अपनी सच्चाई और मौलिकता को नहीं भूलीं।
Don't miss out on the latest updates, audition calls, and exclusive tips to elevate your talent. Subscribe to our newsletter and stay inspired on your journey to success!